नई पुस्तकें >> काश एक बेटा मेरा भी होता काश एक बेटा मेरा भी होतागीता धर्मराजन
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
जैसे बूँद-बूँद से गहरे सागर, रेत के कणों से फैले हुए रेगिस्तान बनते हैं, वैसे ही नन्हें बच्चों की सूझ-बूझ से बनती हैं मनोरंजक कहानियाँ। चलो ले चलते हैं तुम्हें अबु, नूतन, कोकिला, जिश्नू ... सो मिलाने। क्या हैं इनमें कोई तुम्हारे जैसा... ?
यह आदमी कब समझेगा कि लड़कियाँ लड़कों से कम नहीं !
यह आदमी कब समझेगा कि लड़कियाँ लड़कों से कम नहीं !
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